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तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला: वैज्ञानिक अनुसंधान पर विशेषज्ञों का ज्ञानवर्धन

राजकीय महिला महाविद्यालय, बदायूँ, उत्तर प्रदेश में प्राचार्य डॉ. राजधन के संरक्षण में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला ने वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में ज्ञानवर्धन का एक अनूठा मंच प्रदान किया। इस श्रृंखला का समन्वयन रसायन विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष श्री. बृजेश कुमार द्वारा किया गया, कार्यक्रम की शुरुआत श्री बृजेश कुमार द्वारा विशेषज्ञों का परिचय देने के साथ हुई, जिसमें प्राचार्य ने अपने उत्साहवर्धक भाषण से उपस्थित छात्राएँ में वैज्ञानिक जिज्ञासा और नवाचार के प्रति उत्साह जगाया। तीन दिवसीय व्याख्यान श्रृंखला में देश के विभिन्न संस्थानों से आए विशेषज्ञों ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
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श्रृंखला के पहले दिन, 28 अप्रैल 2025 को, डॉ. उमेश कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, निरंजन सिंह पीजी कॉलेज, उन्नाव, उत्तर प्रदेश, ने “एनएमआर स्पेक्ट्रोस्कोपी-आधारित जैविक नमूनों से बायोमार्कर यौगिकों की पहचान” विषय पर व्याख्यान दिया। डॉ. कुमार ने जैविक नमूनों में बायोमार्कर यौगिकों की पहचान के लिए न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) स्पेक्ट्रोस्कोपी की तकनीक और इसके अनुप्रयोगों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह तकनीक चिकित्सा और पर्यावरणीय अनुसंधान में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है। 30 अप्रैल 2025 को, श्रृंखला के दूसरे दिन, डॉ. वेद प्रकाश, पीएचडी, पोस्टडॉक्टोरल साइंटिस्ट, ज़ेब्राफिश रिसर्च लैबोरेटरी (जेडआरएल), पारुल इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड साइंसेज, पारुल यूनिवर्सिटी, वडोदरा, गुजरात, ने “टॉक्सिकोलॉजी में मॉडल जीव और न्यूरोबिहेवियरल टॉक्सिकोलॉजी में ज़ेब्राफिश (डैनियो रेरियो) का अनुप्रयोग” विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। डॉ उन्होंने बताया कि ज़ेब्राफिश की पारदर्शी भ्रूण संरचना और मानव जीन के साथ इसकी समानता इसे न्यूरोबिहेवियरल अध्ययनों के लिए आदर्श बनाती है। डॉ. प्रकाश ने ज़ेब्राफिश का उपयोग करके पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों के तंत्रिका तंत्र पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन करने की तकनीकों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने विशेष रूप से रासायनिक प्रदूषकों के न्यूरोटॉक्सिक प्रभावों का अध्ययन करने में ज़ेब्राफिश की भूमिका पर जोर दिया।
श्रृंखला का समापन 1 मई 2025 को तीसरे दिन होगा, जिसमें डॉ. सच्चिन यादव “स्पेक्ट्रोस्कोपी और क्रोमैटोग्राफी” विषय पर व्याख्यान देंगे। इस सत्र में रासायनिक विश्लेषण की इन दो प्रमुख तकनीकों के सिद्धांतों, अनुप्रयोगों और आधुनिक अनुसंधान में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला जाएगा। यह व्याख्यान विशेष रूप से रसायन विज्ञान के छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी होगा, जो इन तकनीकों को अपने शोध में लागू करना चाहते हैं।
कार्यक्रम में कॉलेज की प्राचार्य, डा ऋषभ भारद्धाज, अन्य संकाय सदस्य, और बड़ी संख्या में छात्राएँ उपस्थित थीं। सत्र के अंत में एक जिज्ञासा समाधान सत्र दौर आयोजित किया गया, जिसमें छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। रसायन विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष श्री बृजेश कुमार ने इस सत्र की अध्यक्षता की और बताया कि यह व्याख्यान श्रृंखला राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अंतर्गत छात्राओं को अनुसंधान और नवाचार के प्रति प्रोत्साहित करने का हिस्सा है।
कार्यक्रम के समापन श्री बृजेश कुमार ने डॉ. उमेश कुमार और डॉ. वेद प्रकाश को उनके ज्ञानवर्धक व्याख्यानों और आयोजन को सफल बनाने में योगदान के लिए हार्दिक धन्यवाद के साथ किया|

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