8:40 am Sunday , 4 May 2025
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ब्रज के रसिक इंद्रेश जी महाराज ने पत्रकारों से भेंट में कहा कि

बिसौली। नौ वर्षो से आध्यात्मिक राह के पथिक हैँ। पिता श्रीकृष्ण चंद्र शास्त्री जी ही आध्यात्मिक गुरु हैँ। यह बात ब्रज के रसिक इंद्रेश जी महाराज ने पत्रकारों से एक भेंट में कही। वृंदावन में भक्तों की जुड़ रही भारी भीड़ को लेकर कहा कि भक्तगण वीडियो बनाकर यहाँ की स्मृति को ताजा रखना चाहते हैँ। आधुनिकता बड़ रही है, यदि यह भक्ति पथ पर बड़ रही है तो सही है लेकिन यदि संस्कृति से दूर ले जा रही है तो गलत है।
यदि प्रारब्ध में भगवान का मिलना तय है तो वर्तमान में किया गया भजन मार्ग बन जाता है। भगवान से मिलने का माध्यम बन जाता है कर्म। कुभाव से तो रावण को भी परमगति प्राप्त हुई थी लेकिन समाज से उसको आदर्श नहीं माना। प्रभु धाम जाने के बाद भी रावण वंदनीय नहीं है। भाव, कुभाव, अनख, आलसहु। रामचरित मानस की इस पंक्ति पर प्रकाश डालते हुए महाराज जी ने कहा कि भगवान का भजन हर स्थिति में कल्यानकारी है।

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