बदांयू 25 नवंबर। जिला चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की क्लीनिक को लॉक किया जा रहा है। लेकिन इस कार्रवाई पर देहात क्षेत्र के लोगों ने सवालिया निशान लगा दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि हल्की फुल्की बीमारियों के लिए झोलाछाप ही उपयोगी है। शहर में डाॅ को 200 से 500 रूपए फीस व अलग से दवा लेकर हम लोगों को इलाज कराना संभव नहीं। इसको लेकर देहात क्षेत्र के लोगों ने मुख्यमंत्री को इन झोलाछाप चिकित्सक के खिलाफ अभियान को बंद करने की गुहार लगाई है। लोगों ने झोलाछाप डॉक्टरों के दुकानों को बंद करने के फैसले पर सरकार से मंथन करने की बात कही है। कहा कि झोलाछाप डॉक्टरों की ग्रामीण क्षेत्रों में काफी उपयोगिता है। कोरोना महामारी के दौरान इनकी सक्रियता के चलते शहरों की अपेक्षा गांव में कम कोरोना के केस फाइल हुए।
बेरोजगारी के युग में झोलाछाप डॉक्टर को मोदी सरकार के कौशल विकास योजना का संकल्प भी बताया हैं। ग्रामीणों ने झोलाछाप डॉक्टर को एक तरह का जुगाड़ बताया। कहा सरकार की ओर से समय-समय पर इनके खिलाफ कार्यवाही करने, इनको बंद करने पर जोर दिया जाता है। इनके खिलाफ कार्रवाई भी होती है। वर्तमान में इनके खिलाफ अभियान चलाया गया है। इनको इलाज करने से रोका गया है। सरकार की सोच अपनी जगह सही है मगर हमारे मुल्क में जुगाड़ का अपना महत्व है।
क्षेत्र के ग्रामीणों द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में लिखा है कि पूरे प्रदेश में हजारों गांव है, सरकार को चिकित्सा व्यवस्था पहुंचाना बहुत बड़ी चुनौती है। साधन भी कम है। वही पूरे प्रदेश में चिकित्सकों का भी टोटा है। डॉक्टर भी सभी जगह नहीं पहुंच सकते हैं। ऐसे में झोलाछाप डॉक्टरों की पहुंच आज भी गांव में है। गांव के लोग इन पर काफी विश्वास भी करते हैं। बीमार होने पर ग्रामीण इनसे संपर्क कर इलाज करवाते हैं। अगर रूपये ना हो तो भी यह चिकित्सक इलाज उधार में करते हैं, शहरों में यह हो नहीं सकता।
ग्रामीणों में राम सिंह, राम स्वरूप, दीनदयाल,सुम्मैरी, राकेश कुमार, सेवाराम, अनिल कुमार आदि ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है झोलाछाप डॉक्टर 365 दिन गांव में सेवा के लिए उपलब्ध रहते हैं। इनके व्यवहार में अपनापन और जनता के प्रति विश्वास पैदा करने वाला होता है। सरकार इनको थोडा प्रोत्साहन दे तो यह अपनी सेवा के आधार पर चिकित्सा के बाजार में जिंदा रह सकते हैं। मरीज के बुलाने पर यह उसके घर तक पहुंच कर सेवा प्रदान करते हैं। इनके संपर्क शहर में अच्छे चिकित्सक से होते हैं। साथ ही आवश्यकता पड़ने पर मरीज का शहर में इलाज के लिए जाने में मदद भी करते हैं। साथ ही इनमें अपने कामकाज को सुधारने की ललक भी हमेशा रहती है। उन्होंने पूछा कि इनकी सेवाओं को पूर्ण रूप से बंद करके क्या सरकारी चिकित्सा सेवा पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा? क्या प्रदेश की ग्रामीण जनता को स्वास्थ्य विभाग समुचित इलाज मुहैया करा सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि झोलाछाप डॉक्टर ग्रामीणों क्षेत्र की लाइफ लाइन है।