बदायूं। एचपी इंटरनेशनल स्कूल के प्रांगण में आज एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जहाँ भावनाएं शब्दों से आगे निकल गईं। स्कूल में मातृ दिवस (Mother’s Day) का आयोजन बड़े ही भावुक और आत्मीय वातावरण में किया गया, जिसकी थीम थी – “एक एहसास”। यह केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि माँ और बच्चे के बीच उस अमिट रिश्ते को समर्पित एक अद्भुत यात्रा थी, जो हर दिल को छू गई।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के सामने दीप प्रज्वलित कर की गई, जिसे प्रबंधक निदेशक शिवम पटेल, निदेशिका सेजल पटेल, प्रधानाचार्य संदीप पांडे और उपप्रधानाचार्य पंकज गुप्ता ने संयुक्त रूप से सम्पन्न किया। इस पावन आरंभ ने पूरे माहौल को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
जैसे ही स्कूल प्रांगण में माताओं का आगमन हुआ, मुकुट पहनाकर और रोली लगाकर उनका स्वागत किया गया। यह सम्मान मात्र एक औपचारिकता नहीं, बल्कि उन तमाम वर्षों का आभार था, जो एक माँ अपने बच्चे की परवरिश में समर्पित कर देती है।
कक्षा एनसी के नन्हे बच्चों ने अपनी माताओं के लिए एक मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया, जिसने हर माँ की आँखों में नमी ला दी। बच्चों का समर्पण और मासूमियत माँ के लिए सबसे अनमोल तोहफा बन गया।
इसके बाद कार्यक्रम में एक अनोखी प्रतियोगिता आयोजित की गई, जहाँ माताओं ने अपने बच्चों को कम समय में ड्रेस पहनाने की रेस में भाग लिया। इस प्रतियोगिता में माँ-बच्चे के बीच की केमिस्ट्री और आपसी समझ का अद्भुत रूप देखने को मिला।
फिर आया वह पल, जब बच्चों ने माँ को समर्पित गानों के माध्यम से अपना प्रेम और कृतज्ञता व्यक्त की। हर स्वर में भावनाओं की लहरें थीं, जो हर उपस्थित व्यक्ति के मन को भिगो गईं।
एक अन्य दिलचस्प प्रतियोगिता में, माताओं की आँखों पर पट्टी बाँधी गई और उन्हें अपने बच्चों को पहचानना था। यह खेल भावनाओं और स्पर्श की वह शक्ति दर्शा रहा था, जहाँ बिना देखे भी एक माँ अपने बच्चे को पहचान लेती है।
कक्षा केजी के विद्यार्थियों ने भी अपनी नन्ही-नन्ही थिरकनों से सबका मन मोह लिया। उनके नृत्य में मासूमियत और सच्ची श्रद्धा झलक रही थी।
सबसे भावुक पल तब आया जब बच्चों ने अपनी माँओं का श्रृंगार किया। एक प्रतियोगिता के तहत बच्चों ने अपनी नन्ही उंगलियों से माँ को सजाया – यह दृश्य इतना मार्मिक था कि हर आँख नम हो गई।
कार्यक्रम के अंत में विजयी माताओं को सम्मानस्वरूप उपहार दिए गए।
इस भावुक आयोजन का समापन निदेशिका सेजल पटेल के प्रेरणादायक और दिल को छू लेने वाले शब्दों के साथ हुआ। उन्होंने कहा –
“माँ अपने बच्चों के बिना कुछ कहे सब कुछ समझ जाती हैं। धरती पर भगवान का सबसे सच्चा रूप माँ होती है।”
इस आयोजन ने सिद्ध कर दिया कि माँ सिर्फ एक शब्द नहीं, “एक एहसास” है – जो जीवन भर साथ रहता है, जो हर मुस्कान के पीछे खड़ा होता है, और जो बिना शर्त, बिना थके, बस प्रेम ही देता है।