सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश के साथ नौतपा की शुरुआत 25 मई से हो जाएगी । आचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार लगभग 80 साल के बाद नौतपा इस बार सबसे ज्यादा तपने वाला रहेगा ऐसा इसलिए होगा कि संवत्सर के राजा और मंत्री सूर्य है।और इसका समापन तीन जून को होगा। मान्यता है कि नौतपा के नौ दिन में तेज गर्मी पड़ती है तो यह अच्छी बारिश का संकेत होता है। ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि इस बार सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश 24 मई को रात्रि 3:15 मिनट होगा। इसके साथ ही नौतपा की शुरुआत हो जाएगी और समाप्ति तीन जून को होगी। हालांकि सूर्यदेव आठ जून तक रोहिणी नक्षत्र में ही रहेंगे लेकिन नौतपा के शुरुआती नौ दिन सबसे ज्यादा असर डालते हैं। सूर्य देव आठ जून के बाद मृगशिरा नक्षत्र में चले जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य देव रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो वे पृथ्वी के सबसे करीब होते हैं। उनकी किरणें सीधी धरती पर पड़ती हैं, जिससे धरती के तापमान में अत्यधिक वृद्धि होती है और इस दौरान भीषण गर्मी पड़ती है।
इस दौरान भगवान सूर्य की उपासना और कुछ खास सावधानियां बरतने से समृद्धि और स्वास्थ्य में वृद्धि हो सकती है।
नौतपा के बारे में प्रसिद्ध कहावत है।
‘दो मूसा, दो कातरा, दो तिड्डी, दो ताव दोयां रा बादी जळ हरै, दोए बिसर, दोए बाव’।।
अर्थात पहले दो दिन गर्म हवा (लू) न चले तो चूहे अधिक होंगे । दूसरे दो दिन हवा न चले तो कातरा (फसलों को नष्ट करने वाले कीट) बहुत होंगे । तीसरे दो दिन हवा न चले तो टिड्डी दल आने की आशंका रहती है। चौथे दिन हवा न चले, तो बुखार आदि रोगों का प्रकोप रहता है।पांचवें दो दिन हवा न चले, तो अल्प वर्षा, छठे दो दिन लू न चले तो जहरीले जीव-जन्तुओं (साँप-बिच्छू आदि) की बहुतायत और सातवें दो दिन हवा न चले तो आंधी चलने की आशंका रहेगी। सरल अर्थ में अगर हम समझें तो अधिक गर्मी पड़ने से चूहों, कीटों व अन्य जहरीले जीव-जन्तुओं के अण्डे समाप्त हो जाते हैं। क्योंकि यह उनका प्रजनन काल होता है ।
रोहण तपै, मिरग बाजै। आदर अणचिंत्या गाजै ।।
रोहिणी नक्षत्र में गर्मी अधिक हो तथा मृगशिरा नक्षत्र में खूब आंधी चले तो आद्र्रा नक्षत्र के लगते ही बादलों की गरज के साथ वर्षा होने की संभावना बन सकती है। परमात्मा सभी पर अपनी कृपा बनाए रखें।
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा